हिन्दी कक्षा-6 बसन्त पाठ-6 ऐसे ऐसे

पाठ के प्रश्न-उत्तर 


प्रश्न 1 : ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ़्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाज़ा सड़क वाले बरामदे में खुलता है……………उस पर एक फ़ोन रखा है।’ इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ।

उत्तर :  बैठक में फर्श पर सुन्दर नीले रंग का कालीन बिछा है। इसके एक तरफ़ सोफा-सेट रखा है। कोने में एक छोटे से टेबल पर टेलिफ़ोन रखा है। दूसरे कोने के टेबल पर फूलदान रखा है; जिसमें पीले और गुलाबी रंगों के फूलों का गुच्छा है। सोफा-सेट के आगे एक टेबल है; जिस पर अख़बार तथा अन्य पत्रिकाएँ रखी हुई हैं। कमरे के छत पर एक शीशें का झूमर लगा हुआ है। दरवाजें तथा खिड़की पर पर्दें लगे हुए हैं।
प्रश्न 2  : माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?

उत्तर : मोहन के पेट में काफ़ी दर्द हो रहा था। इसका कारण पता नहीं चल रहा था और वह कल स्कूल नहीं जा सकेगा, उसे क्या बीमारी हो गई है?  मोहन अपने दर्द का कारण न बताकर सिर्फ ऐसे-ऐसे ही करता जा रहा था। माँ को लगा कि शायद मोहन को ज्यादा ही तकलीफ है और ये 'ऐसे-ऐसे' तो कोई बहुत बड़ी बीमारी है, जिसके कारण मोहन इस तरह लोट रहा है।यह सोचकर माँ का मन घबरा रहा था।

प्रश्न 3  : ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।

उत्तर :  ऐसे कुछ बहाने दिए जा रहे हैं जिसे मास्टर जी अच्छी तरह से जानते हैं-

  • पेट में दर्द होना।
  • होमवर्क की कापी घर भूल जाना।
  • सिर में दर्द होना।
  • चक्कर आना।
  • जी घबराना  आदि. 

अनुमान और कल्पना

  • प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?

    उत्तर : स्कूल के कक्षा-कार्य से बचने के लिए मोहन ने बहुत बार पेट में ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए होंगे। यदि किसी दिन मोहन को सचमुच पेट में दर्द हो गया तो कोई भी उसकी बात पर विश्वास नहीं करेगा। सब यही समझेंगे कि मोहन फिर से कोई बहाना बना रहा है जिससे उसका दर्द और भी बढ़ जाएगा। फिर वह तकलीफ को सहते हुए कहेगा कि मैं सच कह रहा हूँ। इससे उसे एहसास होगा कि झूठ बोलने से कितनी तकलीफ होती है और मोहन फिर कभी झूठ नहीं बोलेगा।

    प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य ‘लोचा-लोचा फिरे है’ के बदले ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमज़ोर हो गया है’-लिखा जा सकता है। लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, जैसे-

    • इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं.
    • राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया.
    • तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है.
    अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?

    उत्तर : 

    • इतनी सारी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
    • इन सभी बीमारियों ने तो परेशान कर दिया है।
    • तुम तो बहुत ही चालाक हो।


    प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।

    उत्तर :

    मोहन और मेरे बीच संवाद 

    मैं-अरे मोहन ! कैसे हो? तुम्हें ये क्या हो गया है ?
    मोहन-कुछ नहीं भाई। बस पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।

    मैं-ऐसे कैसे हो रहा है?
    मोहन-बस ऐसे-ऐसे।

    मैं-डॉक्टर को दिखाया तुमने?
    मोहन-हाँ  डॉक्टर को दिखाया भाई। दवाई दी है खाने को।

    मैं-क्या कहा उन्होंने?
    मोहन-उन्होंने कब्ज और बदहजमी बताया है।

    मैं-ठीक है, दवा खा लो और जल्दी से ठीक हो जाओ। कल विद्यालय भी जाना  है, याद है न।
    मोहन-हाँ, हाँ, याद है।

    मैं-अब मैं चलता हूँ। कल विद्यालय जाते समय आऊँगा। अगर पेट ठीक हो जाए तो तुम भी तैयार रहना।
    मोहन-अच्छा भाई ! धन्यवाद ।


    प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे वक्त में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।

    उत्तर : संकट के समय हमें तीन प्रकार के नंबर याद रखने चाहिए-

    पुलिस का नंबर-100
    फायर ब्रिगेड का नंबर -101
    एंबुलेंस का नंबर -102
    यदि हमारे घर में या पास-पड़ोस में कोई वारदात या चोरी होती है तो पुलिस को जानकारी देना चाहिए। यदि कहीं पर भी आग लगती है तो फायर ब्रिगेड को जानकारी देनी चाहिए। यदि कोई बीमार हो जाए तो डॉक्टर को फ़ोन करेंगे।


     
    (1) उपरोक्त परिस्थिति में नम्रतापूर्वक एवं उचित वार्तालाप करेंगे .

    (2) हम उन्हें घटना-स्थल का पता बताएँगे.

    (3) उनसे शीघ्र अति शीघ्र आने के लिए कहेंगे।
(4) यदि डॉक्टर को बुलाया है तो उसे मरीज़ की बीमारी के लक्षण बता देंगे ताकि वह आवश्यक दवा साथ ला सकें ।


      ऐसा होता तो क्या होता…

मास्टर : …. स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?
(मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
मोहन : जी, सब काम पूरा कर लिया है।
इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता? लिखो।

उत्तर : इस तरह की स्थिति में मास्टर जी समझ जाते कि मोहन के पेट में सचमुच दर्द है। वह मोहन के माता-पिता को उसका ठीक से इलाज कराने की सलाह देते और कहते जब मोहन ठीक हो जाए तब स्कूल भेजिएगा।

भाषा की बात

प्रश्न 1 :

  • मोहन ने केला और संतरा खाया।
  • मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
  • मोहन ने क्या खाया?
  • मोहन केला और संतरा खाओ।


उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। 
  • मोहन ने केला और संतरा खाया।
पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।

  • मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।) 

  • मोहन ने क्या खाया?
तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। 

  • मोहन केला और संतरा खाओ।
चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। अगले पृष्ठ पर एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो–

बताना : रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना : ………..................
पूछना : …………………………....
आदेश देना : ………………………

उत्तर : 

-विधिवाचक वाक्य – रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
-निषेधवाचक वाक्य – रूथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।
-प्रश्नवाचक वाक्य – क्या रूथ ने कपड़े अलमारी में रख दिए?
-आदेशवाचक वाक्य – रूथ कपड़े अलमारी में रखो।

प्रश्न 2  : ‘नाटक’ शब्द का आम ज़िंदगी में कब कब इस्तेमाल किया जाता है। सोच कर लिखो।

उत्तर :  ‘नाटक’ शब्द का आम ज़िंदगी में तब इस्तेमाल होता है जब कोई दिखावा कर रहा होता है। जब कोई बहाना बना रहा होता है . जब कोई ऐसी घटना घटे जिसका कोई औचित्य न हो तब कहा जाता है कि क्या !नाटक हो रहा है ?

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